आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।
धावा बोल दियो गिरिधारी ,नंदगाव के ग्वाल सखारी।
छोड़ रहे रंग पिचकारी ,
निकसत मे रिपटै दल सबरौ ,सखियन ने मनमोहन पकरौ।
आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।
सखियन के संग भानुदुलारी ,ले गुलाल की पोटै भारी ,
मार रही है भई अंधियारी ,
यहां दीखै नहीं दगरौ ,सखियन मनमोहन पकरौ।
आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।
सखा भेष सखियन ने धारयौ ,सब ही मिलके बादर फरयौ ,
अचक जाइकै फंदा डारयो ,
छैला कूँ कसकै जकरौ ,सखियन ने मनमोहन पकरौ।
आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।
धोखो भयो समझ गये मोहन ,आई बरसने की टोलन,
हँस -हँस आई हरि के मोहन ,
गुलचन ते केर दियो पातरौ, सखियन ने मनमोहन पकरौ।
आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।
मन भाई कर लीनी हरि ते ,बतराबै तीखी आँखिन ते,
सखी रूप कर दियो पुरुष ते ,
परमेश्वर को झारो नखरौ,सखियन ने मनमोहन पकरौ।
आरी होरी मे है गयो झगरौ ,सखियन ने मोहन पकरौ।