डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के एक गाँव धनुषकोडी में हुआ था। इनके पिता, मछुआरों को किराए पर नाव देते थे। कलाम ने अपनी पढ़ाई के लिए धन की पूर्ति के लिए अखबार बेचने का काम भी किया। डॉ. कलाम ने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया। उनका जीवन सदा संघर्षशील रहने वाले एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने कभी हार नहीं मानी तथा देशहित में अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए, सदा उत्कृष्टता के पथ पर चलते रहे। 71 वर्ष की उम्र में भी वे अथक मेहनत करते हुए भारत को सुपर पावर बनाने की ओर प्रयास रत थे।
भारत रत्न डॉ. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। वे भारत रत्न से सम्मानित होने वाले तीसरे राष्ट्रपति हैं। भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक, डॉ. कलाम ने देश को ‘अग्नि’ एवं ‘पृथ्वी’ जैसी मिसाइलें देकर, चीन एवं पाकिस्तान को इनकी रेंज में लाकर, दुनिया को चौंका दिया।
एक बार एयरफोर्स के पायलेट के साक्षात्कार में 9वें नम्बर पर आने के कारण (कुल आठ प्रत्याशियों का चयन करना था) उन्हें निराश होना पड़ा था।
वे ऋषिकेश बाबा शिबानन्द के पास चले गए एवं अपनी व्यथा उन्हें सुनाई।
बाबा ने उन्हें कहा :-
Accept your destiny and go ahead with your life. You are not destined to become an Airforce Pilot. What you are destined to become is not revealed now but it is predetermined. Forget this failure, as it was essential to lead you to your existence. Become one with yourself, my son. Surrender yourself to the wish of God.
बाबा शिवानन्द का कहने का अर्थ यह था कि असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं। यह असफलता आपकी दूसरी सफलताओं के द्वार खोल सकती है। तुम्हें जीवन में कहाँ पहुँचना है, इसका पता नहीं। आप कर्म करो, ईश्वर पर विश्वास करो।